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कहां कहां से गुजर रहा है क्रिकेट

19 Oct 2023   163 Views

कहां कहां से गुजर रहा है क्रिकेट

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  • संजय दुबे

क्रिकेट में टेस्ट याने 5दिन के समय के अलावा बराबरी पर छूटते  निर्णय के चलते दर्शक ऊबने लगे थे।  94साल तक  वही मैदान  वही वेशभूषा और  परंपरागत कापी बुक स्टाइल के  कारण एकरुपता  बढ़ने लगी थी।टेलीविजन के आविष्कार ने दर्शक को  स्टेडियम के स्थान पर ड्राइंग रूम में भीड़ बढ़ने लगी।ऐसे में शुक्र है बरसात का जो  1से4जनवरी 1971को मेलबॉर्न क्रिकेट स्टेडियम में बरसी और जिसके चलते  इंग्लैंड ऑस्ट्रेलिया का टेस्ट  नहीं हो पाया। ऐसे में दर्शकों के मनोरंजन के लिए 40ओवर का मैच खेला गया।

ये प्रयोग कारगर साबित हुआ और धीरे धीरे एक दिवसीय क्रिकेट फलने फूलने लगा। 1975 में इंग्लैंड की लाइफ इंश्योरेंस कंपनी प्रूडेंशियल ने पहला विश्वकप क्रिकेट का आयोजन भी करा दिया। इस आयोजन में 60- 60 ओवर के मैच हुआ करते थे। दूसरा दिन सुरक्षित रहता था। 80के दशक में एक दिवसीय क्रिकेट में अगर किसी व्यक्ति ने क्रांति किया तो वो ऑस्ट्रेलिया के कैरी पैकर थे। उनको प्रसारण का अधिकार नहीं मिला तो उन्होंने बगावत कर उस समय के लगभग  सभी खिलाड़ियों को पैसे के बल पर खरीद कर प्राइवेट मैच शुरू कर दिया। दिन के बदले रात को क्रिकेट होने लगा।सफेद साइड स्क्रीन के बजाय काला  स्क्रीन लग गया।लाल रंग के जगह सफेद रंग की बॉल आ गई। सफेद ड्रेस की जगह रंग बिरंगी ड्रेस इजाद हो गई। ग्राउंड में  दो कैमरे जो बॉलर के दोनो एंड पर लगते थे उसकी जगह 6से 8कैमरे लग गए। सभी देशों ने इस "पायजामा क्रिकेट"पर रोक लगाने के लिए भरपूर कोशिश की लेकिन जिन्हे जाना था वे पैसे के लोभ में गए। कहते है कि  जो होता है अच्छा होता हैं ,ऐसा ही हुआ और पैकर सर्कस के बाद एकदिवसीय क्रिकेट का रूप बदलते गया। वेस्ट इंडीज, भारत, श्रीलंका, पाकिस्तान की टीम के विश्वकप जीतने पर माहौल और बना। 1976से लेकर 2023के 47साल के अंतराल में 4600 से अधिक एकदिवसीय मैच खेला जाना बताता है कि औसतन 100एक दिवसीय मैच आयोजित होते रहे है। पांच दिन के क्रिकेट से एक दिन के बदलाव ने खेल के ढंग को भी बदल दिया।  50ओवर्स के मैच हो गए। ग्राउंड में  छोटा घेरा बन गया।  निश्चित ओवर तक 3खिलाड़ी घेरे से बाहर रह सकते है याने लप्पे वाले शॉट  लगाने की आजादी।एक समय  ग्राउंड शॉट लगाने वाले बैट्समैन आदर्श माने जाते थे उसके पलट आज ऐसे बल्लेबाज आक्रामक माने जाते है। विवियन रिचर्ड्स, सईद अनवर, सनथ जयसूर्या,श्रीकांत,एडम गिलक्रिस्ट,रोहित शर्मा, बेन स्टोक्स जैसे बल्लेबाज आज आदर्श है। क्षेत्ररक्षण में भी परिवर्तन देखते बनता है। हवा में उड़ कर कैच लेते देखना एक रोमांच होता है। दक्षिण अफ्रीका के जोंटी रोड्स,वेस्ट इंडीज के क्लाइव लॉयड जिन्हे ब्लैक पैंथर कहा जाता था शानदार उदाहरण है। क्रिकेट को बल्लेबाजों का खेल माना जाता है लेकिन हर देश के गेंदबाजों ने कहर बरपाते हुए खेल का मुंह मोड़ दिया है। भारत के बिशन सिंह बेदी ने 12ओवर में 8मेडन 6रन देकर 1 विकेट लिए थे। 50ओवर में श्रीलंका के चामिंडा वास ने 8ओवर में 19रन देकर 8 विकेट लिए है। मैकग्राथ, अफरीदी,राशिद खान जैसे गेंदबाज 7- 7विकेट लेकर बैठे है। मौसम  बिगड़ने से खेल प्रभावित हो इसके लिए डकवर्थ लुईस नियम बन गए।

स्टेडियम में दर्शकों की बैठने की संख्या बढ़ते गई।अहमदाबाद के  नरेंद्र मोदी स्टेडियम में सवा लाख दर्शक बैठ सकते है। भी सभ्रांतता  के दायरे से  निकल कर आजाद हो गए। अब तो स्टेडियम में गाली गलौच सामान्य बात हो गई है। देखते देखते क्रिकेट कितना बदल गया है। अब क्रिकेट ओलंपिक खेलों का हिस्सा बनने जा रहा है।

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