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00 भगवान श्रीराम सामाजिक समरसता के प्रतीक हैं : प्रपन्नाचार्य
पेण्ड्रा। विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय सह संगठन मंत्री विनायक राव देशपांडे ने धर्मावलम्बियों को संबोधित करते हुए कहा कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ था, इस दिन का धार्मिक,आध्यात्मिक, प्राकृतिक, वैज्ञानिक महत्व है।इस अवसर पर स्वामी प्रपन्नाचार्य ने कहा कि भगवान श्रीराम सामाजिक समरसता के प्रतीक हैं।
उनके आदर्शों का पालन करके हम सार्वभौमिक समाज और मजबूत राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं।
शनिवार छत्तीसगढ़ विहिप के केंद्रीय सह संगठन मंत्री विनायक राव देशपांडे,प्रांत मंत्री विभूति भूषण पाण्डे, कोषाध्यक्ष धवल शाह, पूर्व उपाध्यक्ष डॉक्टर ललित माखीजा धार्मिक समारोह में शामिल होने यहां पहुंचे थे। विहिप के जीपीएम जिलाध्यक्ष हर्ष छाबरिया सहित विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, मातृ शक्ति के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं ने अतिथियों का स्वागत किया।
मरवाही मार्ग पेण्ड्रा के शिव मंदिर में विश्व हिन्दू परिषद एवं बजरंग दल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में विनायक राव देशपांडे ने अपने सम्बोधन की शुरुआत भारत माता, हिन्दू धर्म और जय श्रीराम के उद्घोष के साथ किया। उन्होंने कहा कि चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा का सिर्फ भारत देश ही नहीं बल्कि दुनिया में बहुत महत्व है। इसी दिन ब्रह्माजी ने पृथ्वी का निर्माण किया। पृथ्वी के निर्माण के समय को लेकर हिन्दू धर्म ग्रंथों में जो व्याख्या है उसे वैज्ञानिकों ने भी माना है। उन्होंने कहा कि विक्रमादित्य ने आक्रांताओं का नाश किया था इसलिए हिन्दू पंचांग को विक्रम संवत माना गया। इसी दिन वरुण देव भगवान ने झूलेलाल के रुप में अवतार लिया था।
उन्होंने कहा कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ था। धार्मिक, आध्यात्मिक, प्राकृतिक दृष्टि से चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का महत्व है। पूरे सारे हिन्दुस्तान में गांव गांव में चैत्र नवरात्र में रामोत्सव के रुप में मनाया जा रहा है। भगवान श्रीराम हमारे आराध्य देव ही नहीं हमारे जीवन का आधार हैं।
श्री देशपांडे ने कहा कि भगवान श्रीराम को मानने वाले सिर्फ हिन्दू ही नहीं बल्कि दूसरे धर्म के भी बहुत से लोग हैं। कोरिया देश के लोग भी मानते हैं कि श्रीराम हमारे हैं। इंडोनेशिया की 95 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है। मुस्लिम देश होने के बावजूद वहां भी भगवान श्रीराम को मानते हैं। वहां स्कूलों में रामायण पढ़ाई जाती है। वहां रेल्वे स्टेशन के सामने भगवान गणेश की मूर्ति लगी है। वहां के एक हजार के नोट पर भगवान की तस्वीर है। उन्होंने कहा कि एक बार पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने इंडोनेशिया के विदेश मंत्री से कहा कि आप लोग हिन्दू देवता को क्यों मानते हो तो इंडोनेशिया के मंत्री ने कहा कि हमने अपनी पूजा पद्धति बदली है लेकिन 600 साल पहले हमारे पूर्वज हिन्दू थे, इसलिए हिन्दू देवता को मानते हैं।
उन्होंने कहा कि 1984 में संतो ने घोषणा किया था कि अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि में मन्दिर बनाने के लिए हम विश्व हिन्दू परिषद के नेतृत्व में आन्दोलन करेंगे। उसके बाद लगातार बड़े बड़े आन्दोलन हुए जिसका परिणाम है कि 500 साल बाद भगवान श्रीराम अपनी जन्मभूमि में नव निर्मित भव्य मंदिर में विराजमान हुए।
कार्यक्रम में उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए स्वामी कृष्ण प्रपन्नाचार्य कामता महाराज ने कहा कि भगवान श्रीराम सामाजिक समरसता के प्रतीक हैं। राज्याभिषेक की अर्ध रात्रि को भगवान श्रीराम ने लक्ष्मण को बुलाया और कहा कि मेरे राज्याभिषेक का आमन्त्रण मेरे मित्र निषादराज केवट को जरूर देना। प्रपन्नाचार्य ने धर्मांतरण पर अंकुश लगाने का मांग विनायक राव देशपांडे के समक्ष रखा। कार्यक्रम की शुरुआत भगवान श्रीराम के भजन से हुई और कार्यक्रम का समापन भगवान श्रीराम की महाआरती और हनुमान चालीसा के पाठ के साथ हुआ।
इस दौरान छत्तीसगढ़ प्रांत के मंत्री विभूति भूषण पाण्डे, छत्तीसगढ़ प्रांत के कोषाध्यक्ष धवल शाह, छत्तीसगढ़ प्रांत के पूर्व उपाध्यक्ष डॉक्टर ललित माखीजा, विश्व हिन्दू परिषद के जीपीएम जिलाध्यक्ष हर्ष छाबरिया, पेण्ड्रा नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष रामजी श्रीवास, अनिल सिंह ठाकुर, श्रीधर उर्मलिया, आनंद साहू, सौरभ साहू, प्रकाश साहू, सागर पटेल, राम बहादुर सिंह ठाकुर, रमाकांत जायसवाल, जनपद उपाध्यक्ष जीवन सिंह राठौर, आशीष केसरी, विनोद साहू, आनंद गुप्ता, विमल मिश्रा, घनश्याम साहू, आशीष पांडे, विनय पांडे, देवांश तिवारी, भूपेंद्र चौधरी, शुभम गुप्ता, नवीन विश्वकर्मा, प्रहलाद साहू, बृजेश सोनी, नरेंद्र उपस्थित थे।
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