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जातिगत जनगणना वंचित वर्गों का अधिकार है, केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनने पर लागू होगा हिस्सेदारी न्याय योजना - वर्मा

16 Apr 2024   15 Views

जातिगत जनगणना वंचित वर्गों का अधिकार है, केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनने पर लागू होगा हिस्सेदारी न्याय योजना - वर्मा

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रायपुर। केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनने पर देश मे वंचित वर्गों को उनका अधिकार देने जातिगत जनगणना करवाई जाएगी। केंद्र की मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी जनगणना के जिम्मेदारी से लगातार भाग रही है। 2011 के बाद से देश में आम जनगणना नहीं हुआ है। जनगणना के आंकड़े अलग-अलग वर्गों के असलियत को प्रदर्शित करते है जिसके आधार पर सामाजिक न्याय के कार्यक्रम बनाये जाते है। जब जनगणना ही नहीं होगा तो वास्तविक स्थिति सामने कैसे आयेगी?उक्त बातें प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहीं। 
देश में जाति आधारित गिनती इसलिये ज़रूरी है क्योंकि सदियों से जाति व्यवस्था हमारे समाज की वास्तविकता है। इसमें जाति, जो कि जन्म से तय होती है, के आधार पर होने वाले भेदभाव और अन्याय को कोई नकार नहीं सकता। लगभग दो सौ साल की ग़ुलामी के बाद आज़ाद हुए भारत के सामने कई चुनौतियां थीं। इसके चलते जाति आधारित गिनती सन 1951 से नहीं हुई। केवल अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की गिनती हर जनगणना में नियमित रूप से होती रही है। पिछली जनगणना सन 2021 में होनी थी लेकिन मोदी सरकार ने लगातार इसको टाला है। इस कारण सरकार के पास अन्य जातियों को तो छोड़ ही दें एससी और एसटी की जनसंख्या कितनी है, इसकी भी जानकारी नहीं हैं। सन् 2011 में जब यूपीए की सरकार थी तब 25 करोड़ परिवारों को शामिल करते हुए सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना आयोजित की गई थी। जिसमें इन परिवारों का जातिय, सामाजिक और आर्थिक डेटा इक_ा किया गया था। सामाजिक-आर्थिक डेटा का उपयोग अब कल्याणकारी कार्यक्रमों के लिए किया जाता है लेकिन जाति से जुड़ी जानकारी और डेटा मोदी सरकार द्वारा कभी प्रकाशित ही नहीं किया गया।
पिछले तीन दशकों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य पिछड़े वर्ग, और सामान्य वर्ग के भी आर्थिक रूप से कमजोर नागरिकों को शिक्षा और सार्वजनिक क्षेत्र में रोजग़ार में आरक्षण दिया जा चुका है। पर अभी भी हमें यह ठोस जानकारी उपलब्ध नहीं है कि वो कौन-कौन सा समुदाय हैं जो आरक्षित वर्गों में आते हैं और उनकी जनसंख्या तथा असली हालात क्या हैं? सामाजिक न्याय को पूरी तरह से तभी स्थापित किया जा सकता है जब हमें इन समुदायों की जनसंख्या स्पष्ट रूप से पता हो। इसी लिए जाति की गिनती ज़रूरी है। जाति जनगणना का और एक फ़ायदा है कि यह आरक्षित समूहों के बीच आरक्षण के लाभों का समान वितरण करने में भी काम आयेगा।

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