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00 कई शोधकर्ता केवल विषय का चुनाव डिग्री हासिल करने के लिए करते हैं लेकिन यह निरर्थक है - कुलसचिव पटेल
रायपुर। महंत लक्ष्मी नारायण दास महाविद्यालय एवं विवेकानंद महाविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित फैकेल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम का समापन हुआ। समापन सत्र सत्र में बोलते हुए प्रोफेसर आरके ब्रह्मा ने कहा भारत में ज्ञान की परंपरा खुली रही है यहां पर शास्त्रार्थ होते रहते हैं ऐसे में कहना उचित होगा की रिसर्च कोई बाबा की भभूति नहीं है जिसे निकालकर उपयोग कर लिया जाए। उनका कहना था कि एक रिसर्चर को जासूसी की तरह होना चाहिए ताकि अनुसंधान में बेहतर खोज को सामने लाया जा सके। उन्होंने बताया कि अनुसंधान करता एक अच्छा अधिवक्ता भी होता है क्योंकि रिसर्चर अपने शोध अध्ययन को गहराइयों के साथ व्याख्या के साथ सामने लाता है। उन्होंने बताया कि रिसर्च को एक स्टोरी की तरह पेश किया जाना चाहिए ताकि हर विषय और तथ्य आसानी से समझाया जा सके। वे मानते हैं कि ऐसा कोई विषय नहीं जिसमें नए अध्ययन नहीं किया जा सके। शोध को सावधानी पूर्वक करना चाहिए और इसके लिए यह आवश्यक है कि ज्यादा से ज्यादा अच्छे से अच्छा साहित्य का अध्ययन पहले किया जाए। वर्तमान में हो रहे शोध अध्ययन पर टिप्पणी करते हुए कहा कि दशमलव एक थीसिस में रिव्यू का लिटरेचर ठीक-ठाक होता है, वर्तमान दौर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का है जिसमें परिश्रम पर ही सफलता निर्भर करती है।
शोध अध्ययनकर्ताओं को तथ्यों की जांच करते समय सावधानी बरतनी चाहिए, गलती होने से निष्कर्ष बदल सकते हैं। नई शिक्षा नीति तैयार की जा रही है डॉक्टर कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में समिति ने 30 करोड़ सुझाव प्राप्त हुए हैं जिसे लेकर प्रोफेसर कामत और प्रोफेसर भार्गव ने कई सारे फाइंडिंग्स निकले हैं इसलिए इस उदाहरण को समझ लिया जाना चाहिए कि शोध कितना महत्वपूर्ण हो सकता है।
कार्यक्रम में महंत कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर देवाशीष मुखर्जी ने कहा कि यह फैकेल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम दोनों महाविद्यालय का एक महत्वपूर्ण संयुक्त प्रयास था जो सफल रहा है। इसमें शामिल होने वाले सभी शिक्षक फैकेल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम से लाभान्वित हुए होंगे ऐसी उम्मीद की जा सकती है। आने वाले दिनों में महाविद्यालय ऐसे कई आयोजनों को लेकर रूपरेखा तैयार कर रहा है ताकि शिक्षकों को अपग्रेड रखा जा सके। वही पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉक्टर शैलेंद्र पटेल का कहना था कि ऐसा कम अवसर आता है जब दो निजी महाविद्यालय संयुक्त रूप से किसी शैक्षणिक कार्यक्रम को संपादित करें। दोनों महाविद्यालय को बधाई प्रेषित करते हुए कहा कि फैकेल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम में रिसेंट ट्रेंड्स इनोवेशन और प्रैक्टिस को विषय बनाया गया था काफी महत्वपूर्ण विषय है। शोध अध्ययन के क्षेत्र में यह बात देखने में आती है की कई शोधकर्ता केवल विषय का चुनाव डिग्री हासिल करने के लिए करते हैं लेकिन यह निरर्थक है। शोधकर्ताओं को ऐसे विषय का चुनाव करना चाहिए जो उनके अध्यापन से समाज के लिए प्रेरणात्मक बनाया जा सके। उन्होंने बताया कि एयर कंडीशनर रूम में बैठकर डाटा कलेक्शन करना अच्छा लगता है लेकिन शोध के परिणाम वास्तविक नहीं आते, शोध के परिणाम वास्तविक वहां पर आते हैं जब एक शोध करता फील्ड में जाकर तथ्यों का संकलन करता है।
आयोजन में महंत लक्ष्मी नारायण दास महाविद्यालय शिक्षण समिति में सचिव अनिल तिवारी ने कहा कि फैकेल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम में ज्ञान का प्रस्तुत हुआ है, वह ज्ञान सभी शिक्षकों के लिए बेहतर साबित होगा। वह मानते हैं कि शोध अध्ययन के क्षेत्र में जितना काम किया जाए काफी कम है। उनका कहना था कि निजी क्षेत्र में शिक्षा का विस्तार हो रहा है और काफी संभावनाएं बन रही हैं इसलिए इन माध्यमों के शिक्षकों को निरंतर अपग्रेड रहना चाहिए। कार्यक्रम में विवेकानंद महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर मनोज मिश्रा ने स्वागत उद्बोधन दिया और अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उनके द्वारा शोध अध्ययन करते हुए किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। वर्तमान के अनुसंधान नई तकनीक से काफी कुछ मदद मिलने की संभावनाओं को महत्वपूर्ण करार दिया। अंत में विवेकानंद महाविद्यालय की शिक्षिका मिर्जा तोमर ने फैकेल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम के सारांश को प्रस्तुत किया और विस्तार से जानकारी रखी तथा प्रोफेसर आरके झा धन्यवाद ज्ञापित किया।
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