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रायपुर। कितनी भी संपत्ति के मालिक हो यदि तबियत बिगड़ी और वर्तमान चिकित्सकीय सुविधाओं से उपचार संभव नहीं हो पाया तो ये पैसे धरे के धरे रह जाते हैं। चाहे मुंबई से लंदन ही क्यों न पहुंच जायें। कोरोनाकाल इसका सबसे बड़ा गवाह रहा है। लेकिन सेवा का संस्काररूपी मानवता आज भी जीवित है। आज भी कई ऐसे मददगार हाथ आगे आ जाते हैं जो अनजान होते हुए भी आपकी सहायता के लिए तत्पर रहते हैं। बात हम उन रक्तदाताओं की कर रहे हैं जिनकी एक टीम हैं * हेल्ंिपग हैंड्स क्लब * इस नाम से एक व्हाट्सएप ग्रुप चलता है जिसमें करीब हजार की संख्या में सदस्य शामिल हैं। जो संभवत:पूरे छत्तीसगढ़ से है। खुद भी रक्त डोनेट करते हैं दूसरों को प्रेरित करते हैं। ब्लड बैंक से संपर्क रखते हैं और समय पर सूचना अधिकृत रूप से हास्पिटल की पर्ची से मिली तो जरूरत मंद को जितना जब संभव हो सके ब्लड उपलब्ध कराने के लिए यहां से वहां तक हाथ पैर मारते हुए भरपूर प्रयास कर ब्लड उपलब्ध करा देते हैं।
कोई भी प्रचार-प्रसार टीम के लोग अपने इस काम को लेकर नहीं करते लेकिन इतना जरूर कहते हैं कि मानव सेवा माधव सेवा है? अच्छे कर्म करते चलिए हिसाब ऊपर वाला लिख रहा है, करके देखिए अच्छा लगता है रक्तदान-महादान किसी जरूरतमंद के चेहरे की खुशी..। वे इस बात का अनुरोध अपने गु्रप में कर रखे हैं कि किसी भी प्रकार का फंड रेस या फंडिंग वाला मैसेज ग्रुप में न डाले आपको मेडिकल इलाज संबंधित सहायता चाहिए तो किसी एडमिन को डिटेल्स देवे हर संभव प्रयास किया जाता है। हेलपिंग हैैंड्स क्लब की टीम का कोटिश साधुवाद कि आज के इस आधुनिकता के दौर में भी आप जैसे सेवाभावी लोग जिंदा ही नहीं हैं बल्कि दूसरों को जिंदा रखने के लिए नि:स्वार्थ रूप से मदद भी कर रहे हैं।
मेरा अनुभव
मुझे भी अचानक इस ग्रुप के बारे में पता चला जब मेरे भाई के लिए दो यूनिट ब्लड की जरूरत थी। हालांकि ईश्वर की कृपा से मुझे इनके मदद की जरूरत नहीं पड़ी,बाहर से ब्लड़ की व्यवस्था हो गई। फिर भी मै इनके कार्यों को नमन करता हूं।
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