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श्री हनुमान मंदिर धरसींवा का अपना अलग ही इतिहास है..

23 Apr 2024   97 Views

श्री हनुमान मंदिर धरसींवा का अपना अलग ही इतिहास है..

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धरसींवा। बिलासपुर रायपुर नेशनल हाइवे पर धरसींवा में स्थित प्राचीनत्तम श्री हनुमान जी मंदिर का अपना अलग ही इतिहास है। जैसा कि स्थानीय लोग बताते हैं अंग्रेजों के शासन काल के समय, धरसींवा से 4 किलोमीटर दूर कोल्हान नाला के पास एक दुर्घटना हुई थी तब धरसीवा थाना के  प्रभारी सुबेदार  सोनूलाल मिश्रा व हवलदार सत्यनारायण तिवारी दोनो मुआयना व जांच करने घोड़ा से नाला के पास पहुंचे। पहले थानों मे घोड़ों  से आना जाना होता था। घोड़े को चारा चरने के लिये छोड़कर दोनों पुलिस अधिकारी दुर्घटना की जांच में लग गए और जब जांच पूरी कर वापसी आने के लिए घोड़ा के पास गये, तो घोड़ा अडने लगा, और जोर-जोर से हिनहिनाने लगा।  घोड़े के इस हरकत पर पुलिस अधिकारियों को कुछ शंका हुई क्योकि अब के जैसे आधुनिकता नहीं थी बेजुबान जानवर बहुत कुछ कह जाते हैं यह पुलिस वाले भी मानकर आसपास के एरिया पर नजर डालना शुरु किया तो सामने झाडिय़ों में श्री हनुमान जी की एक प्रतिमा पड़ी हुई थी। जो काफी वर्षों से रहा होगा। ऐसा पुराने लोग बताते हैं।

अधिकारियों ने उसी घोड़े में हनुमान जी को बिठाकर धरसींवा थाने ले आए, और थाने के सामने नीम पेड़ के नीचे प्रतिमा को रख दिए, कुछ समय व्यतीत होने के बाद छोटा सा मंदिर बनवा कर, हनुमान जी की प्राण प्रतिष्ठा विधि विधान से करवा कर प्रतिस्थापित कर दिया गया। समय के साथ-साथ मंदिर का विस्तार भी हुआ। बाद में माँ भगवती दुर्गा एवं शिवजी की प्रतिमा भी प्रतिस्थापित की गई। अब धर्म और आस्था का एक बड़ा केन्द्र यह मंदिर बन चुका है। राह पर चलने वाले हर लोग यहां शीश झुकाकर चलते हैं।

लगभग 75 वर्ष से भक्तों के द्वारा मंगलवार व शनिवार को श्रृंगार वंदन लगाया जाता है, जिसके कारण हनुमान जी का चेहरा व शरीर लगभग बराबर हो गया था। हनुमानजी का वास्तविक स्वरुप किसी ने नहीं देखा था। एक भक्त के मन में यह विचार बार-बार आता था, अपने गुरुजन की आज्ञा से भगवान श्रृंगार का उद्देश्य लेकर मंदिर के पुजारी के साथ लकड़ी का औजार बनाकर, इसके वंदन को धीरे-धीरे करके निकाला गया जो काफी कोर एवं पत्थर सा बन गया था। सफाई और श्रृंगार का काम जिस दिन पूर्ण हुआ उस दिन श्री भगवान जगन्नाथ रथयात्रा का शुभमुर्हूत था। बाद में हनुमान जी के चेहरे और मुंह को चांदी अर्क कर स्वरूप दिया गया, पश्चात जो आकृति उभर कर आयी आज उसी मुर्तरूप में हनुमान जी विराजे है।

आस-पास के लोगों की आस्था इस मंदिर पर बहुत है, अपने शुभ कामों की शुरूआत वे हनुमान जी के दर्शन से करते हैं, यहां पर श्री हनुमान जी का जन्म उत्सव काफी धूमधाम से मनाया जाता है। समय के साथ-साथ यह सिद्ध हनुमान शक्तिपीठमंदिर रूप मे प्रसिद्ध हो गया है। चूंकि मंदिर बिलासपुर रायपुर हाइवे पर स्थित है। इसलिए यहां काफी संख्या में बाहर के लोग दर्शन के लिए आते हैं।

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